विद्याभारती E पाठशाला
भारतीय शिक्षा के मूल तत्व - 9
शिक्षा के भारतीय मनोवैज्ञानिक आधार
शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय विचारधारा और संस्कृति की विषय सामग्री को सम्मिलित कर देने मात्र से कोई शिक्षा भारतीय नहीं बन जाती। हमें भारत की उन मनोवैज्ञानिक पद्धतियों पद्धतियों की खोज करनी होगी, जो मनुष्य की उन नैसर्गिक शक्तियों एवं उपकरणों को सजीव बना देती है। जिनके द्वारा वह ज्ञान को आत्मसात करता है ,नवीन नवीन सृष्टि कर्ता है तथा मेधा पौरूष और ऋतंभरा प्रज्ञा का विकास करता है। उस विपुल बौद्धिकता आध्यात्मिकता और अति मानवीय नैतिक शक्ति का रहस्य क्या था ? जिसे हम वेद ,उपनिषद, रामायण ,महाभारत, प्राचीन दर्शन शास्त्रों में भारत के सर्वोत्कृष्ट काव्य, कला, शिल्प और स्थापत्य में स्पंदित होते हुए देखते हैं ? हमें भारत के आत्मा आदर्शों और उन पद्धतियों को अधिक प्रभावशाली और आधुनिकतम संगठन के रूप में जीवित करना होगा जिनके आधार पर विकसित शिक्षा ही भारतीय शिक्षा होगी। इस दृष्टि से यहां हम शिक्षा के भारतीय मनोविज्ञान आधारों की संक्षेप में संक्षेप में चर्चा कर रहे हैं।
भारतीय शिक्षा के मूल तत्व - 9
शिक्षा के भारतीय मनोवैज्ञानिक आधार
शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय विचारधारा और संस्कृति की विषय सामग्री को सम्मिलित कर देने मात्र से कोई शिक्षा भारतीय नहीं बन जाती। हमें भारत की उन मनोवैज्ञानिक पद्धतियों पद्धतियों की खोज करनी होगी, जो मनुष्य की उन नैसर्गिक शक्तियों एवं उपकरणों को सजीव बना देती है। जिनके द्वारा वह ज्ञान को आत्मसात करता है ,नवीन नवीन सृष्टि कर्ता है तथा मेधा पौरूष और ऋतंभरा प्रज्ञा का विकास करता है। उस विपुल बौद्धिकता आध्यात्मिकता और अति मानवीय नैतिक शक्ति का रहस्य क्या था ? जिसे हम वेद ,उपनिषद, रामायण ,महाभारत, प्राचीन दर्शन शास्त्रों में भारत के सर्वोत्कृष्ट काव्य, कला, शिल्प और स्थापत्य में स्पंदित होते हुए देखते हैं ? हमें भारत के आत्मा आदर्शों और उन पद्धतियों को अधिक प्रभावशाली और आधुनिकतम संगठन के रूप में जीवित करना होगा जिनके आधार पर विकसित शिक्षा ही भारतीय शिक्षा होगी। इस दृष्टि से यहां हम शिक्षा के भारतीय मनोविज्ञान आधारों की संक्षेप में संक्षेप में चर्चा कर रहे हैं।
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