विद्याभारती E पाठशाला
भारतीय शिक्षा के मूल तत्व - 26
शिक्षा और दर्शन
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भारतीय व्यवस्था के अनुसार “दृश्यते यथार्थतत्तवमनेन’’ - जिसके द्वारा यथार्थ तत्व या स्वरूप का ज्ञान होता होता है, उसे दर्शन कहते हैं। जाॅन ड्यूई ने दर्शन की व्याख्या करते हुये कहा है कि ’’जब जानबूझ कर नियमित ढंग से किसी विषय के सब पक्षों के सम्बन्ध में सचेतन की समीक्षात्मक प्रक्रिया होती है। वही दर्शन है। विश्व में जितनी भी मानव प्रवृतियाँ हैं उनका आधार कोई न कोई दार्शिनिक सिद्धांत है।जिसमें सार्वभौम सैद्धांतिक आधार पर किसी कार्य के उद्देश्य पद्धति, प्रणाली, कार्यक्रम आदि का संयोजन होता है। उस आधार को ही दर्शन कहा जाता है।
भारतीय शिक्षा के मूल तत्व - 26
शिक्षा और दर्शन
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भारतीय व्यवस्था के अनुसार “दृश्यते यथार्थतत्तवमनेन’’ - जिसके द्वारा यथार्थ तत्व या स्वरूप का ज्ञान होता होता है, उसे दर्शन कहते हैं। जाॅन ड्यूई ने दर्शन की व्याख्या करते हुये कहा है कि ’’जब जानबूझ कर नियमित ढंग से किसी विषय के सब पक्षों के सम्बन्ध में सचेतन की समीक्षात्मक प्रक्रिया होती है। वही दर्शन है। विश्व में जितनी भी मानव प्रवृतियाँ हैं उनका आधार कोई न कोई दार्शिनिक सिद्धांत है।जिसमें सार्वभौम सैद्धांतिक आधार पर किसी कार्य के उद्देश्य पद्धति, प्रणाली, कार्यक्रम आदि का संयोजन होता है। उस आधार को ही दर्शन कहा जाता है।
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