Lesson 18 -प्रश्नोत्तर कौशल
१-प्रश्नोत्तर कौशल
बहुत से शिक्षक स्कूल में अपने पाठ के दौरान ढेर सारे प्रश्न पूछते हैं। लेकिन इनमें से कितने प्रश्न विद्यार्थियों के चिंतन में महत्वपूर्ण सहायता देते हैं। दरअसल शिक्षक अक्सर कक्षा में अपना आधे से अधिक समय प्रश्न पूछने में लगाते हैं। बहुत से प्रश्नों के लिए केवल एक शब्द के उत्तर की आवश्यकता होती है और विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए बहुत कम समय दिया जाता है। अतः बहुत से विद्यार्थी पाठ से जुड़ने को लेकर उत्साहित नहीं होते हैं।
फिर भी विद्यार्थियों के चिंतन और भागीदारी को प्रेरित करने के लिए कक्षा में प्रश्नों का अनेक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है और उसे ज्यादा प्रभावी तरीके से बनाया जा सकता है। यह इकाई प्रश्नों के ऐसे सर्वाधिक प्रभावी प्रकारों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करती है। जिनका कि शिक्षक विद्यार्थियों के चिंतन को बढ़ावा देने और उनकी पढ़ाई को विस्तारित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा यह आपको स्वयं अपने पाठों में भी इनमें से कुछ प्रविधियों और कौशलों को आज़माने का अवसर भी प्रदान करती है। बलों और उनके गुणधर्मों की खोज करने वाली गतिविधियों के ज़रिये आप इस बात का पता लगाएंगे कि किस प्रकार से प्रश्न विद्यार्थियों की गहन समझ को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। प्रश्न पूछने के कौशलों को शिक्षण में वृद्धि करने के लिए विज्ञान के समस्त विषयों और अन्य विषयों में भी प्रयोग किया जा सकता है।
2-प्रयोजनवाद और भारतीय शिक्षा-शास्त्री
प्रयोजनवाद (Pragmatism) दर्शन का एक नवीन समप्रदाय है जिसकी उत्पत्ति अमेरिकी जीवन पद्धति से हुई है। फिर भी कुछ प्रयोजनवादी प्रवृत्तियाँ भारतीय विचारकों के शिक्षा सम्बन्धी विचारों में भी सुगमतापूर्वक पायी जा सकती हैं। उदाहरणार्थ, स्वामी दयानन्द देश की सामाजिक आवश्यकताओं से अवसत थे और इन आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा-योजना बनाना चाहते थे। उनके शिक्षा-सम्बन्धी कार्यक्रम में व्यक्ति के व्यावहारिक अनुभव सम्मिलित हैं। स्वामी विवेकानन्द सामूहिक शिक्षा का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि शिक्षा की देश में जनसाधारण की आवश्यकताओं की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। शिक्षा में जीवन के व्यावहारिक पक्ष पर ध्यान देना आवश्यक है। यह शिक्षा निरर्थक है जिसका लक्ष्य बालकों को समाज के लिए उपयोगी बनने के योग्य बनाना नहीं होता है।
Lesson 18 -प्रश्नोत्तर कौशल
2-प्रयोजनवाद और भारतीय शिक्षा-शास्त्री
१-प्रश्नोत्तर कौशल
बहुत से शिक्षक स्कूल में अपने पाठ के दौरान ढेर सारे प्रश्न पूछते हैं। लेकिन इनमें से कितने प्रश्न विद्यार्थियों के चिंतन में महत्वपूर्ण सहायता देते हैं। दरअसल शिक्षक अक्सर कक्षा में अपना आधे से अधिक समय प्रश्न पूछने में लगाते हैं। बहुत से प्रश्नों के लिए केवल एक शब्द के उत्तर की आवश्यकता होती है और विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए बहुत कम समय दिया जाता है। अतः बहुत से विद्यार्थी पाठ से जुड़ने को लेकर उत्साहित नहीं होते हैं।
फिर भी विद्यार्थियों के चिंतन और भागीदारी को प्रेरित करने के लिए कक्षा में प्रश्नों का अनेक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है और उसे ज्यादा प्रभावी तरीके से बनाया जा सकता है। यह इकाई प्रश्नों के ऐसे सर्वाधिक प्रभावी प्रकारों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करती है। जिनका कि शिक्षक विद्यार्थियों के चिंतन को बढ़ावा देने और उनकी पढ़ाई को विस्तारित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा यह आपको स्वयं अपने पाठों में भी इनमें से कुछ प्रविधियों और कौशलों को आज़माने का अवसर भी प्रदान करती है। बलों और उनके गुणधर्मों की खोज करने वाली गतिविधियों के ज़रिये आप इस बात का पता लगाएंगे कि किस प्रकार से प्रश्न विद्यार्थियों की गहन समझ को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। प्रश्न पूछने के कौशलों को शिक्षण में वृद्धि करने के लिए विज्ञान के समस्त विषयों और अन्य विषयों में भी प्रयोग किया जा सकता है।
2-प्रयोजनवाद और भारतीय शिक्षा-शास्त्री
प्रयोजनवाद (Pragmatism) दर्शन का एक नवीन समप्रदाय है जिसकी उत्पत्ति अमेरिकी जीवन पद्धति से हुई है। फिर भी कुछ प्रयोजनवादी प्रवृत्तियाँ भारतीय विचारकों के शिक्षा सम्बन्धी विचारों में भी सुगमतापूर्वक पायी जा सकती हैं। उदाहरणार्थ, स्वामी दयानन्द देश की सामाजिक आवश्यकताओं से अवसत थे और इन आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा-योजना बनाना चाहते थे। उनके शिक्षा-सम्बन्धी कार्यक्रम में व्यक्ति के व्यावहारिक अनुभव सम्मिलित हैं। स्वामी विवेकानन्द सामूहिक शिक्षा का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि शिक्षा की देश में जनसाधारण की आवश्यकताओं की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। शिक्षा में जीवन के व्यावहारिक पक्ष पर ध्यान देना आवश्यक है। यह शिक्षा निरर्थक है जिसका लक्ष्य बालकों को समाज के लिए उपयोगी बनने के योग्य बनाना नहीं होता है।
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2-प्रयोजनवाद और भारतीय शिक्षा-शास्त्री
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