शिक्षा दर्शन- 9 शिक्षण सूत्र

विद्याभारती E पाठशाला
Lesson –9 (शिक्षा शिक्षण)
शिक्षा तथा निर्देशन का अन्तर
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निम्नलिखित पक्तियों में हम शिक्षा तथा निर्देशन के अन्तर पर प्रकाश डाल रहें हैं

शिक्षा निर्देशन
1. शिक्षा का अर्थ है बालक की जन्मजात शक्तियों का सर्वांगीण विकास करना, ज्ञान को बल-पूर्वक ठूंसना नहीं | इस प्रकार शिक्षा बालक का शारीरिक मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास करती है | अत: निर्देशन की अपेक्षा शिक्षा का क्षेत्र अधिक व्यापक है |
2. शिक्षा में बालक का स्थान मुख्य होता है तथा शिक्षक का गौण
3. शिक्षा में बालक की रूचि तथा मानसिक स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है |
4. शिक्षा का उद्देश्य बालक को वास्तविक जीवन के लिए तैयार करना है जिससे वह एक सुखी सम्पन्न तथा प्रसन्न जीवन व्यतीत कर सके | इस महान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षक एक मित्र पथ-प्रदर्शक तथा सलाहकार के रूप में बालक के साथ सहानभूतिपूर्ण व्यक्तिगत सम्बन्ध स्थापित करके इस प्रकार से मार्ग-दर्शन करता है कि वह विकसित करके ज्ञान की स्वयं ही खोज करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके |

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