विद्याभारती E पाठशाला
Lesson – 21 (शिक्षा शिक्षण)
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँच कर्मेन्द्रियाँ
मनुष्य के शरीर में परमात्मा ने दस इंद्रियां दी हैं। पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँच कर्मेन्द्रियाँ। (1) आँख (2) कान (3)जिह्वा (4) नाक (5) त्वचा ये पाँच इन्द्रियाँ विषयों का ज्ञान प्राप्त कराती हैं। आँख से भला-बुरा देखना, कान से कोमल-कठोर शब्द सुनना, नाक से सुगन्ध दुर्गन्ध सूँघना, जिह्वा से खाद्य-अखाद्य का स्वाद जानना, त्वचा से कोमल या कठोरता का अनुभव करना। प्रत्येक इन्द्रिय का एक देवता होता है उसी से विषयों की उत्पत्ति होती है। आँख का विषय रूप है और सूर्य देवता। सूर्य या अग्नि न हो तो आंखें बेकार हैं। कान का विषय शब्द, गुण आकाश है। नाक का विषय गन्ध और गुण पृथ्वी है। जीभ का विषय रस और गुण जल है। त्वचा का विषय स्पर्श और गुण वायु है। इन गुणों और शक्तियों के कारण इन इन्द्रियों का उपयोग बहुत अधिक है।
Lesson – 21 (शिक्षा शिक्षण)
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँच कर्मेन्द्रियाँ
मनुष्य के शरीर में परमात्मा ने दस इंद्रियां दी हैं। पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँच कर्मेन्द्रियाँ। (1) आँख (2) कान (3)जिह्वा (4) नाक (5) त्वचा ये पाँच इन्द्रियाँ विषयों का ज्ञान प्राप्त कराती हैं। आँख से भला-बुरा देखना, कान से कोमल-कठोर शब्द सुनना, नाक से सुगन्ध दुर्गन्ध सूँघना, जिह्वा से खाद्य-अखाद्य का स्वाद जानना, त्वचा से कोमल या कठोरता का अनुभव करना। प्रत्येक इन्द्रिय का एक देवता होता है उसी से विषयों की उत्पत्ति होती है। आँख का विषय रूप है और सूर्य देवता। सूर्य या अग्नि न हो तो आंखें बेकार हैं। कान का विषय शब्द, गुण आकाश है। नाक का विषय गन्ध और गुण पृथ्वी है। जीभ का विषय रस और गुण जल है। त्वचा का विषय स्पर्श और गुण वायु है। इन गुणों और शक्तियों के कारण इन इन्द्रियों का उपयोग बहुत अधिक है।
No comments:
Post a Comment