Lesson- 12 बाल-केन्द्रित शिक्षा
१- बाल-केन्द्रित शिक्षा
बालक के मनोविज्ञान को समझते हुए शिक्षण की व्यवस्था करना तथा उसकी अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करना बाल केन्द्रित शिक्षण कहलाता है. अर्थात बालक की रुचियों, प्रवृत्तियों, तथा क्षमताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करना ही बाल केन्द्रित शिक्षा कहलाता है. बाल केन्द्रित शिक्षण में व्यक्तिगत शिक्षण को महत्त्व दिया जाता है. इसमें बालक का व्यक्तिगत निरिक्षण कर उसकी दैनिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया जाता है. बाल केन्द्रित शिक्षण में बालक की शारीरिक और मानसिक योग्यताओं के विकास के आधार पर शिक्षण की जाती है तथा बालक के व्यवहार और व्यक्तित्व में असामान्यता के लक्षण होने पर बौद्धिक दुर्बलता, समस्यात्मक बालक, रोगी बालक, अपराधी बालक इत्यादि का निदान किया जाता है.
२- शिक्षा का उद्देश्य
असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरत्व की ओर जाना ही शिक्षा का उद्देश्य है। लेकिन देश की शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य के बारे में एक कवि ने अपनी चार पंक्तियों में वर्णन किया है।
‘‘चलो जलाएं दीप वहां, जहाँ अभी भी अंधेरा है।,
शिक्षा पाकर भिक्षा मांगे, युवजन खाए ठोकर आज।
आजादी का स्वप्न दिखाकर, पाखंडी करते हैं राज।।
भ्रष्ट व्यवस्था ने भी डाला, अब यहाँ डेरा है।
चलो जलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है।”
१- बाल-केन्द्रित शिक्षा
बालक के मनोविज्ञान को समझते हुए शिक्षण की व्यवस्था करना तथा उसकी अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करना बाल केन्द्रित शिक्षण कहलाता है. अर्थात बालक की रुचियों, प्रवृत्तियों, तथा क्षमताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करना ही बाल केन्द्रित शिक्षा कहलाता है. बाल केन्द्रित शिक्षण में व्यक्तिगत शिक्षण को महत्त्व दिया जाता है. इसमें बालक का व्यक्तिगत निरिक्षण कर उसकी दैनिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया जाता है. बाल केन्द्रित शिक्षण में बालक की शारीरिक और मानसिक योग्यताओं के विकास के आधार पर शिक्षण की जाती है तथा बालक के व्यवहार और व्यक्तित्व में असामान्यता के लक्षण होने पर बौद्धिक दुर्बलता, समस्यात्मक बालक, रोगी बालक, अपराधी बालक इत्यादि का निदान किया जाता है.
२- शिक्षा का उद्देश्य
असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरत्व की ओर जाना ही शिक्षा का उद्देश्य है। लेकिन देश की शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य के बारे में एक कवि ने अपनी चार पंक्तियों में वर्णन किया है।
‘‘चलो जलाएं दीप वहां, जहाँ अभी भी अंधेरा है।,
शिक्षा पाकर भिक्षा मांगे, युवजन खाए ठोकर आज।
आजादी का स्वप्न दिखाकर, पाखंडी करते हैं राज।।
भ्रष्ट व्यवस्था ने भी डाला, अब यहाँ डेरा है।
चलो जलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है।”
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