बाल केन्द्रित शिक्षण के सिद्धांत
बालकों को क्रियाशील रखकर शिक्षा प्रदान करना. इससे किसी भी कार्य को करने में बालक के हाथ, पैर और मस्तिष्क सब क्रियाशील हो जाते हैं.
इसके अंतर्गत बालकों को महापुरुषों, वैज्ञानिकों का उदहारण देकर प्रेरित किया जाना शामिल है.
अनुकरणीय व्यवहार, नैतिक कहानियों,नाटकों आदि के द्वारा बालक का शिक्षण किया जाता है
बालक के जीवन से जुड़े हुए ज्ञान का शिक्षण करना.
बालक की शिक्षा उद्देश्यपरक हो अर्थात बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्य को पूर्ण करने वाली हो.
बालक की योग्यता और रूचि के अनुसार विषय-वस्तु का चयन करना.
रचनात्मक कार्य जैसे हस्त कला चित्र कला,खेल आदि के द्वारा शिक्षण.
पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर शिक्षण
बालकों को क्रियाशील रखकर शिक्षा प्रदान करना. इससे किसी भी कार्य को करने में बालक के हाथ, पैर और मस्तिष्क सब क्रियाशील हो जाते हैं.
इसके अंतर्गत बालकों को महापुरुषों, वैज्ञानिकों का उदहारण देकर प्रेरित किया जाना शामिल है.
अनुकरणीय व्यवहार, नैतिक कहानियों,नाटकों आदि के द्वारा बालक का शिक्षण किया जाता है
बालक के जीवन से जुड़े हुए ज्ञान का शिक्षण करना.
बालक की शिक्षा उद्देश्यपरक हो अर्थात बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्य को पूर्ण करने वाली हो.
बालक की योग्यता और रूचि के अनुसार विषय-वस्तु का चयन करना.
रचनात्मक कार्य जैसे हस्त कला चित्र कला,खेल आदि के द्वारा शिक्षण.
पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर शिक्षण
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